गौर
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनगौर ^१ वि॰ [सं॰]
१. गोरे चमडे़वाला । गोरा ।
२. श्वेत । उज्ज्वल । सफेद ।
गौर ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. लाल रंग ।
२. पीला रंग ।
३. चंद्रमा ।
४. धव नाल का पेड़ ।
५. सोना ।
६. याज्ञवल्क्य के अनुसार एक प्रकार का बहुत छोटा मान जो तौलने के काम आता और प्रायः तीन सरसों को बराबर होता है ।
७. केसर ।
८. एक प्रकार का मृग जिसके खुर बीच से फटे नहीं होते ।
९. सफेद सरसों ।
१०. चैतन्य महाप्रभु का एक नाम ।
११. एक पर्वत जो ब्रह्मांडपुराण के अनुसार कैलास के उत्तर में हैं ।
१२. एक प्राकर का भैंसा [को॰] ।
१३. बृहस्पति ग्रह (को॰) ।
गौर ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ गौड] दे॰ 'गौड़' ।
गौर ^४ संज्ञा पुं॰ [अ॰ गौर]
१. सोचविचार । चिंतन ।
२. ख्याल । ध्यान । उ॰—सो दीसै सब ठौर ब्याप रहो मन माहिं जो । सज्जन करिके गौर वाही को निज जानिए ।—रसनिधि (शब्द॰) । यौ॰—गौर से = ध्यानपूर्वक । ध्यान देकर ।
गौर ^५ पु संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ गौरी] पार्वती । उ॰— जनम हुकै जगजीत रौ सुप्रसन संकर गौ ।—रा॰ रू॰, पृ॰ २६ ।