गोला
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनगोला ^१ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ गोल]
१. किसी पदार्थ का कुछ बड़ा गोल पिंड । जैसे,—लोहे का गोला, रस्सी का गोला, भाँग का गोला । मुहा॰—गोला उठाना = एक प्रचीन प्रथा जिसमें लोग अपनी सत्यता प्रमाणीत करने के लिये जलता हुआ आग का गोला हाथ में उठा लिया करते थे, और यदि उनका हाथ न जलता था तो वे निर्दोष समझे जाते थे ।
२. लोहे का वह गोला पिंड जिसमें बहुत सी छोटी छोटी गोलियाँ, मेखें आदि भरकर युद्ध में तोपों की सहायता से शत्रुओं पर फेंकते हैं । उ॰—ढाहे महीधर शिखर कोटिन्ह विविध विधि गोल चले ।—तुलसी (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—चलाना ।—छोडना ।—फेंकना ।—बरसाना । विशेष—तोपों के आधुनिक गोले केवल गोल ही नहीं बल्कि लंबे भी बनते हैं ।
३. एक प्रकार का रोग जिसमें थोड़ी थोड़ी देर पर पेट के अंदर नाभि से गले तक वायु का एक गोला आता जाता जान पड़ता है; और जिसमें रोगी को बहुत अधिक कष्ट होता है । वायुगोला ।
४. खंभों के सिरों पर का कुछ चौड़ा गढ़ा हुआ भाग ।
५. दीवार के ऊपर की लकीर जो शोभा के लिये बनाई जाती है ।
६. भीतर से खोखला किया हुआ बैल का फल या उसी आकार का काठ आदि का बना हुआ और कोई पदार्थ जो सुँघनी, भभूत या इसी प्रकार की और कोई बुकनी रखने के काम में आता है ।
७. मिट्टी, काठ आदि का बना हुआ वह गोलाकार पिंड जिसके ऊपर रखकर पगड़ी बाँधते हैं ।
८. जंगली हबूतर ।
९. नारियल का वह भाग जो ऊपर की जटा छीलने के बाद बच रहता है । गरी का गोला ।
१०. वह बाजार या मंड़ी जहाँ अनाज या किराने की बहुत बड़ी बड़ी दूकानें हों ।
११. घास का गट्ठर ।
१२. लकड़ी का गोल पेटे का सीधा लंबा लट्ठा जो छाजन में लगाने तथा दूसरे कामों में आता है । काँड़ी । बल्ला ।
१३. रस्सी, सूत आदि की गोल लपेटी हुई पिंडी ।
१४. एक प्रकार का जंगली बाँस जो पोला नहीं होता और छड़ी या लाठी बनाने के काम में आता है । मुहा॰—गोला लाठी करना = लड़कों के हाथ पैर बाँधकर दोनों घुटनों के बीच डंड़ा ड़ालना । विशेष—यह दंड मौवबी मकतबों में लड़कों को दिया करते हैं ।
१५. एक प्रकार का बेंत जो बंगाल और आसाम में होता है । विशेष—यह बहुत लंबा और मुलायम होता है तथा टोकरे आगदि बनाने के काम में आता है ।
१६. गुलेल से चलाया जानेवाला गेला या बड़ी गोली । उ॰— गोला लगै गिलोल गुरु, छटै म तौ इसरार ।—पृ॰ रा॰, ६ ।१६० ।
गोला ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. गोदावरी नदी ।
२. सहेली । सखी ।
३. मंडल ।
४. किसी चीज की छोटी गोली ।
५. दुर्गा ।
गोला पु ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ गोला जारज॰] गुलाम । दास । उ॰— गोला सूँ कीजे गुसट, ऊभी गिनका आँण ।—बाँकी॰ ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ३ ।