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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

गोपद संज्ञा पुं॰ [सं॰ गोष्पद]

१. गौओं के रहने का स्थान

२. पृथ्वी पर पड़ा हुआ गाय के खुर का चिह्न । उ॰—(क) सादर सुमिरन जे नर करहीं । भव वारिधि गोपद इव तरहीं ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) रघुबर की लीला ललित, मैं बंदौ सिर नाय । जे गावत गोपद सरिस जन भवनिधि लँधि जाय ।—रघुराज (शब्द॰) । यौ॰—गोपदजल = गाय की खुर के गड्ढे में आनेवाला जल । उ॰—गोपद जल बूड़हिं घटजोनी ।—मानस, २ ।२३१ ।