प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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गोदान संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. गौ को विधिवत् संकल्प करके ब्राह्मण को दान करने की क्रिया । विशेष—इसका विधान साधारण दान, पुण्य, रोग, विवाह आदि संस्कार अथवा किसी प्रकार के प्रायश्चित्त के अवसर के लिये हैं । क्रि॰ प्र॰—करना ।—देना ।—लेना ।

२. एक संस्कार जो विवाह से पहले ब्राह्मण को १६ वें वर्ष, क्षत्रिय को २२वें वर्ष और वैश्य को २४वें वर्ष करना आवश्यक है । इसे केशांत या गोदानमंगल भी कहते हैं । उ॰—पुनि करवाय मुनिन गोदाना । मंगल मंडित वेद विधाना ।—रघुराज (शब्द॰) ।