गुल्ला
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनगुल्ला ^१ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ गोला]
१. मिट्टी की बनी हुई गोली जो गुलेल से फेंकी जाती है ।
२. एक बँगला मिठाई । विशेष—यह फटे दूध के छेने की गोल गोल पिंडियों को शीरे में डु़बोने से बनती है । इसे रसगुल्ला भी कहते हैं ।
गुल्ला ^२ संज्ञा पुं॰ [अ॰ गुल] शोर । हल्ला । ऊँचा शब्द । उ॰— आये निशाचर साहनी साजि मरीच सुबाहु सुने मख गुल्ला ।— रघुराज (शब्द॰) । यौ॰—हल्ला गुल्ला = शोरगुल ।
गुल्ला ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ गुल्ली]
१. ईख का कटा हूआ छोटा टुकड़ा । गँडेरी । गाँड़ा ।
२. ईख का एक पोर जिसमें से ऊपर का कठोर हिस्सा या चेंफ और गाँठ निकाल दिया गया हो ।
गुल्ला ^४ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ गुलेल] वह धनुष जिससे मिट्टी की गोली फेंकी जाती है । गुलेल । उ॰—चूक उनहुँ ते होय दे बाँधे बरछी गुल्ला ।—गिरधर (शब्द॰) ।
गुल्ला ^५ संज्ञा पुं॰ [देश॰] दरी कालीन बुनने के करघे में वह बाँस जिसमें बज के दोनों सिरे बँधे रहते हैं ।
गुल्ला ^६ संज्ञा पुं॰ [देश॰] वह ताना जो रेशमी धोतियों के किनारे बुनने में अलग तनकर भाँज में लगाया जाता है ।
गुल्ला ^७ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ गुल्ली] रस्सी में बँधी हुई वह छोटी लकड़ी जो पानी सींचने की लोटी (लुटिया) में पड़ी रहती है और जिसके अँटकाव के कारण भरी हुई लोटी रस्सी के साथ खिंच आती है ।
गुल्ला ^८ संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक पहाड़ी पेड़ जो बहुत ऊँचा होता हैं । विशेष—इसके हीर की लकड़ी सुगंधित, हलकी और भूरे रंग की होती है तथा मजबूत होने के कारण इमारत के काम में आती हैं । नैनीताल में यह पेड़ पेड़ बहुत होता है । इसे 'सराय' भी कहते हैं ।
गुल्ला ^९ संज्ञा पुं॰ [देश॰] गोटा पट्टा बुननेवालों का एक डोरा जो मजबूत होता है और जिसके दोनों सिरों पर सरकंडे की लकड़ियाँ लगी होती है । विशेष—यह डोरा ताना के बदले में पड़ा रहता है । इसका एक सिरा ढेंकली में लगा रहता है और दूसरा सिरा पावँड़ी में बँधा होता है ।
गुल्ला ^१० संज्ञा पुं॰ [हिं॰ गुल्ली] रुई ओटने की चरखी के बीच में लगा हुआ लोहे का छड़ । विशेष—यह लगभग ड़ेढ़ बालिश्त लंबा होता है । पिढ़ई और खूटों के बीच में ठोका रहता है । इससे पिढ़ई या खूँटे सरकने या हिलने नहीं पाते ।