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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

गुरुत्वाकर्षण संज्ञा पुं॰ [सं॰] वह आकर्षण जिसके द्वारा भारी वस्तुएँ पृथ्वी पर गिरती हैं । विशेष—इस आकर्षण शक्ति का थोडा़ बहुत पता भास्कराचार्य को १२०० संवत् में लगा था । उल्होंने अपने सिद्धां त शिरोमणि मे स्पष्ट लिखा है—'आकृष्टशक्तिश्च मही तया यत् खस्थं गुरुस्वाभिमुखं स्वशक्तया । आकृष्टते तत्पततीव भाति, समे समंतात् क्व पतत्वियं खे ।' अर्थात् पृथ्वी में आकर्षण शक्ति है इसी से वह आकाशस्थ (निराधार) भारी पदार्थों को अपनी ओर खींचती है; जो पदार्थ गिरते हैं वे पृथ्वी के आकर्षण से ही गिरते हैं । योरप में गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का पता सन् १६८७ ई॰ में न्यूटन को लगा । उसने अपने अपने बगीचे में पेड़ से फल नीचे गिरते देखा । उसने सोचा कि यह फल जो ऊपर या अगल बगल की ओर न जाकर नीचे की ओर गिरा उसका कारण पृ्थ्वी ती आकर्षण शक्ति है । इस आकर्षण की विशेषता है कि यह उत्पन्न और नष्ट नहीं किया जा सकता और न कोई व्यवधान बीच में पड़ने से उसमें कुछ रुकावट या अंतर डालता है ।