प्रकाशितकोशों से अर्थ

सम्पादन

शब्दसागर

सम्पादन

गिनती संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ √गिन + ती (प्रत्य॰)]

१. वस्तुओँ को समूह से तथा एक दूसरी से अलग अलग करके उनकी संख्या निश्चित करने की क्रिया । गणना । शुमार । उ॰— गिनती गनिबे तें रहे छत हू अछत समान ।—बिहारी (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰— करना । गिनना । मुहा॰—गिनती में आना या होना = किसी कोटी में समझा जाना । कुछ समझा जाना । कुछ महत्व का समझा जाना । उ॰— जिन भूपन जग जीति बाँधि यम अपनी बाँह बसायो । तेरी काल कलेऊ कीन्हें तू गिनती कब आयो ।—तुलसी (शब्द॰) । गिनती कराना = किसी कोटि के अंतर्गत समझा जाना । जैसे,—बह बिद्वानों में अपनी गिनती कराने के लिये मरा जाता है । गिनती गिनाने या करने के लिये = नाम मात्र के लिये । कहने सुनने भर को । जैसे,— गिनती गिनाने के लिये वे भी थोड़ी देर आकर बैठ गए थे । गिनती होना = किसी महत्व का समझा जाना । कुछ समझा जाना । जैसे,—वहाँ बड़े बड़ों का गुजर नहीं । तुम्हारी क्या गिनती है ?

२. संख्या । तादाद । जैसे—ये आम गिनती में कितने होंगे । मुहा॰— गिनती के = बहुत थोड़े । संख्य़ा में बहुत कम । जैसे,— वहाँ गिनती के आदमी आए थे ।

३. उपस्थिति की जाँच जो प्रायः नाम बोल बोलकर की जाती है । हाजिर ।— (सिपाही) । मुहा॰— गिनती पर जाना = हाजिरी देने या लिखाने जाना ।

४. एक से सौ तक की अंकमाला । जैसे— स्लेट पर गिनती लिख— कर दिखाओ । क्रि॰ प्र॰—आना ।