गर्व संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ गर्वित, गर्ववान्] १. अहंकार । घमंड़ । २. एक प्रकार का संचारी भाव । अपने को सब से बड़ा और दूसरों को अपने से छोटा समझने का भाव ।