प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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गरज ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ गर्जन] बहुंत गंभीर और तुमुल शब्द । जैसे, बादल की गरज सिंह की गरज, वीरों की गरज आदी ।

गरज ^२ संज्ञा स्त्री [अ॰ गरज]

१. आशय प्रयोजन । मतलब । उ॰—अपनी गरघनु बोलियतु कहा निहोरी तोहिं । तू प्यारी मो जीय कौं, मो ज्यौ प्यारौ मोहिं ।—बिहारी र॰, दो॰ ४०९ । मुहा॰—गरज गाँठना = मतलब सीधा करना । प्रयोजन निकालना । काम सिद्ध करना ।

२. आवश्यकता । जरूरत । क्रि॰ प्र॰—रखना ।—रहना ।—निकालना ।

३. चाह । इच्छा । यो॰—गरजमंद । क्रि॰ प्र॰—रखना ।—रहना ।—होना । मुहा॰—गरज का बावला = अपनी गरज के लिये सब कुछ करनेवाला । जो अपनी लालसा पूरी करने के लिये भला बुरा सब कुछ करने को तैयार हो जाय । जो अपना मतलब पूरा करने के लिये हानि भी सह ले ।

गरज ^३ क्रि॰ वि॰

१. निदान । आखिरकार । अततोगत्वा ।

२. अस्तु । भला । अच्छा । खैर । बिशेष—यह संयोजक अव्यय का भाव लिए रहता है । मुहा॰—गरज कि = मतलब यह कि । तात्पर्य यह कि । अर्थात् । यानी ।