प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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गजल संज्ञा स्त्री॰ [फा॰ ग़जल] पारसी और उर्दू में विशेषतया श्रृंगार रस की एक कविता जिसमें कोई श्रृंखलाबद्ध कथा नहीं होती । विशेष—इसमें प्रेमियों के स्फुट कथन या प्रेमी अथवा प्रेमिका हृदय के उदगार आदि होती हैं । इसका कोई नियत छंद नहीं होता । गजल में शेरों की संख्या 'ताक' होती है । साधारण नियम यह है कि एक गजल में पाँच से कम और ग्यारह से अधिक शेर न होने चाहिए । पर कुछ माने शायरों ने कम से कम तीन शेर और अधिक से अधिक पच्चीस शेर तक की गजलें मानी हैं । आजकल सत्रह, उन्नीस और इक्कीस तक की गजलें लिखी जाती है । यौ॰—गज लगो = गजल लिखनेवाला ।