प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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गजब संज्ञा पुं॰ [अ॰ ग़ज]

१. कोप । रोष । गुस्सा । यौ॰—गजब इलाही = ईश्वर का कोप । दैवी कोप । उ॰—कापै यों परैया भयो गजब इलाही है ।—पद्माकर (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—आना ।—हटना ।—पड़ना ।

२. आपत्ति । आफत । विपत्ति । अनर्थ । जैसे,—उनपर गजब टूट पड़ा । क्रि॰ प्र॰—आना ।—करना ।—टूटना ।—ढाना ।—तोड़ना ।— गिरना ।—लाना ।—पड़ना ।

३. अंधेर । अन्याय । जुल्म । जैसे,—क्या गजब है कि तुम दूसरे की बात भी नहीं सुनते ।

४. विलक्षण बात । विचित्र बात । मुहा॰—गजब का = विलक्षण । अपूर्व । बड़ा भारी । अत्यंत । अधिक । जैसे,—(क) वह गजब का चोर है । (ख) वहाँ गजब की भीड़ और गरमी थी (ग) उसकी खूबसूरती गजब की थी ।