गंड़क
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनगंड़क ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ गण्डक]
१. गले में पहनने का जंतर या गंडा ।
२. वह देश जहाँ गंडकी नदी बहती है तथा वहाँ के निवासी ।
३. गाँठ ।
४. एक रोग जिसमें बहुत से फोड़े निकलते हैं ।
४. गैड़ा ।
६. चिह्न । निशान ।
७. रुकावट । बाधा (को॰) ।
८. वियोजन । पार्थक्य । अलगाव (को॰) ।
१०. चार चार करके किसी वस्तु ती गणना (को॰) । ११ चार कौंड़ियों के मूल्य का सिक्का (को॰) ।
१२. ज्योतिष का एक अंग । फलित ज्योतिष [को॰] ।
गंड़क ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ गण्ड़की] दे॰ 'गंड़की' ।
गंड़क † ^३ संज्ञा पुं॰ [देश॰] श्वान । कुत्ता । उ॰—बीछू बानर ब्याल बिस गरदभ गंड़क गोल । ऐ अलगइज राखणा ओ उपदेश अमोल ।—बाँकी॰ ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ११ ।