गंजन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनगंजन ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ गञ्जन]
१. अवज्ञा । तिरस्कार । उ॰— (क) रस सिंगार मंजन किये, कंजन भंजन दैन । अंजन रंदन हू बिना खंजन गंजन नैन ।—बिहारी (शब्द॰) । (ख) काली बिष गंजन दह आयो ।—सूर (शब्द॰) । (२) हरा देना ।
३. संगीत में अष्टताल के आठ भेदों में से एक ।
३. कष्ट तकलीफ ।—(क) जोहि मिलि बिछुरनि औ तपनि अंत होइजो निंत । तेहि मिलि गंजन को सहै नरु बिनु मिलै निचिंत ।—जायसी (शब्द॰) । (ख) पुण्यात्मा सुख से, वो पापी सब नाना गंजन से जाते हैं ।—सदल मिश्र (शब्द॰) ।
४. नीचा दिखाना ।
५. नाश ।
गंजन ^२ वि॰
१. अवज्ञा करनेवाला ।
२. हरा देनेवाला ।
३. कष्ट या दुःख देनेवाला ।
४. नीचा दिखानेवाला ।
५. नाशक । उ॰— जो भव भय भंजन मुनि मन रंजन गंजन बिपति बिपति बरूथ ।— मानस, १ । १८६ ।