प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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गंग ^१ संज्ञा पुं॰ [गङ्गा]

१. एक मात्रिक छंद जिसके प्रत्येक चरण में नौ मात्राएँ होती हैं । अंत में दो गुरु होना आवश्यक है । जैसे,—रामा भजौ रे । कामा तजौ रे । नित याहि कीजै । सब छाँड़ि दीजै ।

२. एक कवि का नाम जो अकबर के समय में था ।

गंग ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ गङ्गा] गंगा नदी । उ॰—करै रख्खि तप्पं दिन गंग न्हावै ।—पृ॰ रा॰, २१ ।१६८ । विशेष—समास में समस्त पद के आदि में गंगा का कभी कभी गंग हो जाता है । जैसे,—गंगदत्त, गंगदास गंगजमुन, गंग- बचन, गंगजल इत्यादि । मुहा॰—गंगगति लेना = गंगालाभ करना । मृत्यु होना । उ॰— मरै जो चलै गंगगति लेई । तेहि दिन तहाँ धरी को देई ।—जायसी ग्रं॰, पृ॰ ५३ ।

गंग ^३ संज्ञा स्त्री॰ [फा॰] गंगा नदी [को॰] । यौ॰—गंगबरार । गंगशिकस्त ।