हिन्दी सम्पादन

प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

खोलना क्रि॰ स॰ [सं॰ खुड, खुल=भेदन]हिं॰ खुलना का सक॰ रूप]

१. किसी वस्तु के मिले या जुड़े हुए भागों को एक दूसरे से इस प्रकार अलग करना कि उसके अंदर या उसके पार तकआना, जाना, टटोलना, देखना आदि हो सके । छिपाने या रोकनेवाली वस्तु को हटाना । अवरोध या आवरण का दूर करना । जैसे—किवाड़ खोलना । संयो॰ क्रि॰—डालना ।—देना ।

२. ऐसी वस्तु को हटाना या इधर उधर करना जो किसी दूसरी चीज को छाए या घेरे हो ।

३. दरार करना । छेद करना । शिगाफ करना । जैसे,—फोड़े का मुँह खोलना ।

४. बाँधने या जोड़नेवाली वस्तु को अलग करना । बंधन तोड़ना । जैसे,—टाँका खोलना गाँठ खोलना, बेड़ी खोलना ।

५. किसी बँधी हुई वस्तु को मुक्त करना । जैसे,—धोती खोलना ।

६. किसी क्रम को चलाना या जारी करना । जैसे,—तनखाह खोलना ।

७. ऐसी वस्तुओं का तैयार करना जो दूर तक रेखा के रूप में चली गई हो और जिनपर किसी वस्तु का आना जाना हो । जैसे,—सड़क खोलना, नहर खोलना ।

८. कोई ऐसा नया कार्य आरंभ करना जिसका लगाव सर्वसाधारण या बहुत से लोगों के साथ हों । जैसे,—कारखाना खोलना, पाठशाला खोलना, दूकान खोलना ।

९. किसी कारखाने, दूकान, दफ्तर आदि का दैनिक कार्य आरंभ करना । जैसे,— वह नित्य बड़े तड़के दूकान खोलता है ।

१०. किसी ऐसी सवारी को चला देना, जिसपर बहुत आदमी एक साथ बैठ सकें । जैसे,—नाव खोलना ।

११. किसी गुप्त या गुढ़ बात को प्रकट या स्पष्ट कर देना । जैसे,—आप के पूछते ही वे सब खोल देंगे । संयो॰ क्रि॰—डालना ।—देना ।

१२. किसी को अपने मन की बात कहने के लिये उद्यत करना । जैसे,—हमने उसे खोलना चाहा, पर वह नहीं खुला ।