खेप
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनखेप ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ क्षेप]
१. उतनी वस्तु जितनी एक बार में ले जाई जाय । एक बार का बोझ । लदा माल । लदान । उ॰—आयो घोष बड़ी व्यापारी । लादि खेप गुन ज्ञान जोग की ब्रज में आनि उतारी ।—सुर (शब्द॰) । मुहा॰—खेप भर = एक बार का बोझा । एक बार को लदाई जायक । खेप लदाना = एक बार ढोने योग्य माल को बैलगाड़ी आदि पर रखना । खेप लादना = गाड़ी पर सामान लादना या रखना उ॰—यह खेप जो तुने लादी है सथ हिस्सों में बट जाएगी ।—कविता कौ॰, भा॰४, पृ॰ ३०९ । खेप हारना = माल में घाटा उठाना ।
२. गाड़ी नाव आदि की एक बार की यात्रा । जैसे,—दुसरी खेप में इसे भी लेते जाना ।
खेप ^२ † संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ आक्षेप] दोष । ऐब । क्रि॰ प्र॰—देना ।—धरना ।—लगना ।
खेप ^३ संज्ञा स्त्री॰
१. खोटा सिक्का ।
२. वह सिक्का जो कौढ़ा लगने की वजह से बाजार में न चल सके ।