प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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खाक संज्ञा स्त्री॰ [फा॰ खाक]

१. धूल । रज । गर्द ।

२. राख । भस्म ।

३. मिट्टी । मृत्तिका । मुहा॰— (कहीं पर) खाक उड़ना = बरबाद होना । तबाह होना । नाश होना । उजाड़ होना । जैसे,— अब वहाँ पर खाक उड़ रही है । खाक उड़ना = खाक छानना । मारे मारे फिरना । वैसे वह इधर उधर खाक उड़ता फिरता है । (किसी की) खाक उड़ाना = उपहास करना । मिट्टी पलीद करना । धूल उड़ाना । जीट उड़ाना । जैसे,—लोगों ने उसकी खूब खाक उड़ाई । खाक करना = तबाह करना । नष्ट भ्रष्ट करना । खाक का पुतता = मनुष्य । आदमी ।—आदमी है तो खाक का पुतला मगर बला की तबीयत पाई है ।— फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ ७ । खाक का पंबंद होना = मृत्यु होना । खाक चाटना = सिर नबाना । नम्रता करना । अनुनय विनय करना । खाक छानना = (१) अच्छी तरह तलाश करना । बहुत ढूँढना । जैसे,—कहाँ कहाँ की खाक छाना पर वह न मिला । (२) मारा मारा फिरना । आवारा फिरना । चारों ओर भटकते फिरना । जैसै,—वह नौकरी के लिये चारों ओर खाक छानचा फिरा । खाक ड़लना = (१) छिपना । दबाना । जैसे,—उसके ऐबों पर कहाँ तक खाक डाली जाय । (२) भूल जाना । गई गुजरी करना जैसे,—पुरानी बातों पर खाक ड़लकर अब मेल कर लो । खाक बरसना = अच्छी दशा न रहना । नष्ट भ्रष्ट हो जाना । खाक में मिलना = बिगड़ना । बरबाद होना । चौपट होना । नष्ट भ्रष्ट होना । खाक में मिलना = बिगड़ना । तबाह करना । नष्ट भ्रष्ट करना । सत्यानाश करना । जैसे,—उसने सारी आबरू खाक में मिला दी । खाक सिर पर उड़ाना या ड़ालना = शोक करना । रोना पीटना । खाक पियाह करना = नष्ट कर देना । बर्बाद कर देना । यौ॰— खाक पत्थर = व्यर्थ वस्तु । निकम्मी चीज ।

४. भूमि । जमीन (को॰) ।

५. तुच्छ । अकिंचन ।

६. कुछ नहीं । जैसे,—वे खाक पढते लिखते हैं ।

खाक अंदाज संज्ञा पुं॰ [फा॰ खाक अंदाज]

१. कूड़ा करकट रखने का पात्र । कूड़ाखाना ।

२. किले से शत्रु पर गोली आदि चलाने और कूड़ा करकट फेंकने के लिये बना सूराख ।

३. चूल्हे से राख निकालने का छेद या बरतन [को॰] ।