प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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खप्पर संज्ञा पुं॰ [सं॰ खर्पर]

१. तसले के आकार का मिट्टी का पात्र ।

२. काली देवी का वह पात्र जिसमें वह रुधिरपान करती है । मुहा॰— खप्पर भरना = खप्पर में मदिरा आदि भरकर देवी पर चढ़ाना ।

३. भिक्षापात्र ।

४. खोपड़ी ।