खटकना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन
शब्दसागर सम्पादन
खटकना क्रि॰ अ॰ [अनु॰]
२. 'खट' 'खट' शब्द होना । खचख— टाहट होना । जैसे, किवाड़ खटकना ।
२. शरीर में किसी काँटे आदि के गड़ने या कंकरी, तिनका आदि बाहरी चीजों के आ पड़ने के कारण रह रहकर पीड़ा होना । जैसे,—पैर में काँटा खटकना या आँखों में सुरमा खटकना ।
३. बुरा मालूम होना । खलना । जैसे—तुम्हारा यहाँ रहना सब को खटकना है । दे॰ 'आँख' में खटकना ।
४. विरक्त होना । उचटना । हटना । जैसे,—अब तो हमारा जी यहाँ से खटक गया ।
५. डरना । भय करना । जैसे, —वह यहाँ आते हुए खटकते हैं ।
६. परस्पर झगड़ा होना । आपस में लड़ाई होना । जैसे,—आजकल दोनों भाइयों में खटक गई है ।
७. किसी प्रकार के अनिष्ट या अपकार का अनुमान होना । अनिष्ट की भावना या आशंका होना । जैसे,—हमें यह बात उसी समय खटकी थी; पर कुछ सोचकर हम चुप रह गए ।
८. अनुपयुक्त जान पड़ना । ठीक न जान पड़ना । जैसे,—यह शब्द कुछ खटकता है, बदल दो । संयो॰ क्रि॰—जाना ।
खटकना पु क्रि॰ सं॰ [हिं॰ खटकना] दे॰ 'खटकना' । उ॰— खटक्कै खटं सो विहू सूर वारे ।—प॰, रासो, पृ॰ ८२ ।