प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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खट ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. कफ । बलगम ।

२. अंधा कूआँ ।

३. घूसा । मुक्का ।

४. एक प्रकार की सुगंधित घास ।

५. कुल्हाड़ी ।

६. हल ।

खट ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ षट्]

१. षाडव जाति का एक राग । विशेष—यह दीपक राग का पुत्र माना जाता है । इसके गाने का समय प्रातः काल एक दंड से पाँच दंड तक है । इसमें मध्य स्वर वादी होता है । कोई कोई इसे आसावरी, ललित टोडी, भैरवी आदि रागिनियों से उत्पन्न संकर राग मानते हैं ।

२. षट् । छह की संख्या । उ॰—(क) येक बार रहस्युँ खट मास ।—बी॰ रासो, पृ॰ ३९ । (ख) खट सरदार नमीठ खडग्गे ।—रा॰ रू॰, पृ॰ २७६ ।

खट ^३ संज्ञा पुं॰ [अनु॰] दो चीजों के परस्पर टकराने या किसी कड़ी चीज के टूटने से उत्पन्न शब्द । यौ॰—खटखट । खटपट । खटाखट । मुहा॰—खट से = तुरंत । तत्काल । जैसे—जरा याद दिलाते ही उसने खट से रुपए गिन दिए । उ॰—दोनों छम्मीजान के साथ साथ पाटेनाले पर किसी हाफिज जी के बइतुल लुत्फ में खट से जा पहुँचे ।—फिसाना॰, भा॰१, पृ॰ ८ ।

खट ^४ संज्ञा पुं॰ [हिं॰] खाट शब्द का समास में व्यवहृत रूप । जैसे—खटमल, खटवारी, छपरखट आदि ।