खञ्जा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनखंजा † ^१ वि॰ [सं॰ खञ्जक] खंज । लँगड़ा ।
खंजा ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ खञ्जा] वर्णार्ध सम वृत्तों में से एक वृत्त जिसके विषम पादों में ३० लघु और अँत में एक गुरु तथा सम पादों में २८ लघु और अंत में एक गुरु होता है । जैसे—नरधन जग मँह नित उठ गनपति कर जस बरनत अतिहित सों । तन मन धन सन जपत रहत तिहिं भजत करत भल अति चित सों । किमि अरसत मन भजत न किमि तिहिं भज भज भज भज शिव धरि चित हीं । हर हरहर हर हर हर हर हर हर हर हर हर कह नितहीं ।—छंद:॰, पृ॰ २७२ ।