खचन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनखचन संज्ञा पुं॰ [सं॰] वि॰ खचित ]
१. बाँधने या जड़ने की क्रीया । उ॰—सर्वसाधारण के मनोरंजनार्थ रत्न को जैसे कुंदन में खचित करना पड़ता है, वैसे ही काव्य को उक्त गुणों से अलंकृत करना चाहिए ।—(शब्द॰) ।
२. अंकित करने या होने की क्रिया । चित्रित होने की क्रिया । उ॰—ध्यान रुपी चित्रालय में कौन कौन चित्र खचित हो गए ।—(शब्द॰) ।