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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

क्षवथु संज्ञा पुं॰ [सं॰] नाक के ३१ प्रकार के रोगों में से एक प्रकार का रोग जिसमें छीक् बहुत अधिक आती हैं । विशेष—सुश्रुत के अनुसार अधिक तीक्ष्ण और चरपरे पदार्थ सूँघने, सूर्य की और देखने और नाक में अधिक बत्ती आदि ठूंसने से उसके अदर का मर्मस्थान दूषित हो जाता है और अधिक छींकें आने लगती है । इसी को क्षवथु कहते हैं ।