क्षतज
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनक्षतज ^१ वि॰ [सं॰]
१. क्षत से उत्पन्न । जैसे—क्षतज शोथ, क्षतज विद्रधि ।
२. लाल । सुर्ख । उ॰—क्षतज नयन उर बाहु विशाला । हिमगिरि निभ तनु कछु इक लाल ।—तुलसी (शब्द॰) ।
क्षतज ^२ संज्ञा पुं॰
१. रक्त । रुधिर । खून ।
२. मवाद । पीब ।
३. एक प्रकार की खाँसी जो क्षत रोग में होती है । इसमें खखार के साथ रुधिर निकलता है और शरीर के जोड़ों में पीड़ा होती है ।
४. सात प्रकार की प्यास में से एक, जो शरीर में शस्त्रों का घाव लगने या बहुत अधिक रक्त निकल जाने के कारण लगती है । यह प्यास शरीर पर गीला कपड़ा लपेटने से बुझती है ।