प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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क्रमुक संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. सुपारी का पेड । उ॰—घर घर तोरण विमल पता के कंचन कुंभ धराए । क्रमुक रंभ के खंभ विराजत पथ जल सुरभि सिंचाए ।—रघूराज (शब्द॰) ।

२. नागर- मोथा ।

३. कपास का फल ।

४. शहतुत का पेड ।

५. पठानी लोध ।

६. एक प्राचीन देश का नाम ।