क्रंत पु वि॰ [सं॰ कान्त] सुंदर । मनोहर । उ॰—बहुरुपी रुपन बनि आवहिं । क्रंत गीत असमंजस गावहिं ।—प॰ रासो, पृ॰ २३ ।