कौ पु ^१ संर्व॰ [हि॰] दै॰ 'कोई' । उ॰— ईसीय न दैवल पूतलो गयण सलुणा बचन सुमीत । ईसीय न खाती कौ घडह, इसी अस्त्री नहीं रवि तले दिठ । — बी॰ रासो , पृ॰ ४५ ।