कोण
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनकोण ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. एक बिंदु पर मिलती या कटती हुई दो ऐसी रेखाओं के बीच का अंतर, जो मिलकर एक न हो जाती हों । कोना । गोशा । विशेष—जिन दो रेखाओं से कोण बनता है उनकी लंबाई के घटने बढ़ने से कोण के मान में कुछ अंतर नहीं पड़ता । कोण का मान निकालने का ढंग यह है कि जिस बिंदु पर दोनों रेखाएँ मिलती हैं उसे केंद्र मानकर दोनों रेखाओं को काटता हुआ एक वृत्त बनावे । फिर उसकी परिधि को ३६० अंशों में विभक्त करे । जितने अंश कोण बनानेवाली रेखाओं के बीच में पड़ेगे, उतने अंशों का वह कोण कहा जायगा । रेखागणित में कोण कोई प्रकार के होते हैं, जैसे—समकोण (९० अंश का) न्यूकोण (९० अंश से कम का), इत्यादि ।
२. दो दिशाओं के बीच की दिशा । विदिशा । विशेष—कोण चार हैं—अग्निकोण (पूर्व और दक्षिण के बीच का कोण), नैऋति (पश्मि और दक्षिण का), ईशान (पूर्व और उत्तर का) तथा वायव्य (उत्तर और पश्मि का) ।
३. सारंगी का कमानी ।
४. हथियारों की बाढ़ । तलवार आदि की धार ।
५. सोंटा । डंडा । लाठी ।
६. ढोल पीटने का चोब ।
कोण ^२ संज्ञा पुं॰ [यू॰ कोनस]
१. शनि ग्रह ।
२. मंगल ग्रह ।