केहा संज्ञा पुं॰ [ सं॰ केका॰ प्रा॰ केआ] १. मोर । मयूर । २. एक छोटा जंगली पक्षी जो बटेर के समान हेता हैं । उ॰— धरी परेव पांडुक टेरी । केहा कदरो उतर बगेरी ।— जायसी (शब्द॰) ।