प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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केका संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] मोर की बोली । मोर की कूक । यौ॰—केकारव = मोरकी बोली । उ॰—एक ओर गहरी खाई में सोय तरुओं का तम । केकारव से चकित बखेरे सुख स्वाप्नों का संभ्रम ।—ग्राम्या, पृ॰ १०५ ।