प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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कुमार संज्ञा पुं॰ [सं॰] [स्त्री॰ कुमारी]

१. पाँच वर्ष की आयु का बालक ।

२. पुत्र । लड़का । बेटा ।

३. युवराज ।

४. कार्तिकेय ।

५. सिंधु नद ।

६. तोता । सुग्गा ।

७. खरा सोचा ।

८. सनक, सनंदन, सनत् और सुजात आदि कई ऋषि जो सदा बालक ही रहते हैं ।

९. युवावस्था या उससे पहले की अवस्थावाला पुरुष । उ॰—बाल्मीकि मुनि बसत निरंतर राममत्रउच्चार । ताको फल मोहिं आज भयो, मोहिं दर्शन दियो कुमार ।— सूर (शब्द॰)

१०. जैनियों के अनुसार वर्तमान अवसर्पिणी के २१ वें जिन । ११ एक ग्रह जिसका उपद्रव बालकों पर होता है ।

१२. संगल ग्रह ।

१३. साईस ।

१४. अग्नि के एक पुत्र का नाम जिन्होंने कई वैदिक मंत्रों का प्रकाश किया था

१५. अग्नि ।

१६. शुद्ध या खरा सोना ।

१७. एक प्रजापति का नाम ।

१८. भारतवर्ष का नाम ।

१९. एक ऊँचा वक्ष जिस का पतझड़ पर्षा में होता है । सेवँ । विशेष — इसकी लकडी़ कुछ पीलापन या लगई लिए सफेद रंग की नरम, चिकनी चमकीली और मजबूत होती है । इसकी आलमारी, मेज , कुर्सी और आरायशी चीजें बनती हैं । बरमा में इसपर खुदाई का काम अच्छा होता है ।इसकी छाल और जड़ औषध के काम आती है और फल खाया जाता है । इसकी कलम भी लगती है और बीज भी बोया जाता है । यह वृक्ष पहाड़ों पर तीन हजार फुट की ऊँचाई तक मिलता है । यह बरमा, आसाम, बरार और मध्यप्रांत में बहुत होता है ।

कुमार वि॰ [सं॰] बिन ब्याहा । कुँआरा ।