कुचरचा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ कु + चर्चा] अपवाद । अपकथन । निंदा । उ॰—राम कुचरचा करहिं सब, सीतहिं लाइ कलंक । सदा अभागी लोग जग कहत सकोचु न संक ।—तुलसी ग्रं॰, पृ॰ ९३ ।