प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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कुंदन ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कुन्द = श्वेतपुष्प या देस॰]

१. बहुत अच्छे और साफ सोने का पतला पत्तर, जिसे लगाकर जड़िए नगीने जड़ते हैं । क्रि॰ प्र॰—लगाना ।

२. स्वच्छ सुवर्ण । बढ़िया सोना । खालिस सोना । उ॰—पीतर पटतर बिगत, निषक (निकष) ज्यौं कुंदन रेखा ।—भक्तमाल (प्रिया॰), पृ॰ ५५२ । विशेष—दमकती हुई स्वच्छ निर्मल वस्तु की उपमा प्रायः कुंदन से देते हैं, जैसे—कुंदन सा शरीर । मुहा॰—कुन्दन सा दमकना = स्वच्छ सोने की भँति चमकना । कदन हो जाना = खूब स्वच्छ और निर्मल हो जाना । निखर आना ।

कुंदन ^२ वि॰

१. कुंदन के समान चोखा । खालिस । स्वच्छ । बढ़िया । जैसे—यह कुंदन माल है ।

२. स्वस्थ और सुंदर । नीरोग । जैसे—चार दिन औषध खाओ तुम्हारा शरीर कुंदन हो जायगा ।