प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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कीमा संज्ञा पुं॰ [अ॰ कीमह्] बहुत छोटे छोटे टुकड़ों में कटा हुआ गोश्त (खाने के लिये) । क्रि॰ प्र॰— करना ।—बनाना । मुहा॰—कीमा करना = किसी चीज के बहुत छोटे छोटे टुकड़े करना । उ॰—चाहूँ तो अग्नि में दहन कर दूँ चाहूँ तो दीवार में चुन दूँ = चाहूँ तो टुकड़े टुकड़ें काटकर कीमा करूँ और यदि चाहूँ तौ बटुए में चुरा डालूँ ।—कबीर मं॰, पृ॰ ११६ ।