प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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किस्सा संज्ञा पुं॰ [अ॰ किस्सह]

१. कहानी । कथा । आख्यान । क्रि॰ प्र॰— कहना ।—सुनना ।—सुनाना, इत्यादि । यौ॰.—किस्सा कहानी = झूठी कल्पित कथा ।

२. वृत्तांत । समा- चार । हाल । जैसे,—उनका किस्सा बड़ा भारी है । क्रि॰ प्र॰— कहना ।—सुनना । मुहा.—कुस्सा कोताह या मुख्तसर = (क्रि॰ वि॰) थोड़े में संक्षेप । में । सारांश । किस्सा नाधना = अपनी बीती सुनाना । अपने कष्ट का वृत्तांत आरंभ करना । जैसे—अब चलो, वे अपना किस्सा नाधेगे तो रात हो जायगी । किस्सा बढ़ाना = किसी वृत्तांत का विस्तार से कहना ।

३. कांड । झगड़ा । तकरार । मुहा॰.—किस्सा खड़ा करना = कांड खड़ा करना । झगड़ा खड़ करना । किस्सा खतम करना, चुकाना, तमाम करना या पाक करना = (१) झगड़ा मिटाना । झंझट दूर करना । (२) किसी वस्तु या विषय को समूल नष्ट करना । किस्सा खतम होना, चुकना, तमाम या पाक होना = (१) झगड़ा मिटना । (२) किसी वस्तु या विषय का समुल नष्ट होना । किस्सा मोंल लेना = झगड़ा खड़ा करना । किस्सा नाधना = झगड़ा खड़ा करना ।