किनारे
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनकिनारे क्रि॰ वि॰ [हिं॰ किनारा]
१. किनारे पर । तट पर ।
२. अलग । दूर । मुहा॰—किनारे करना = दूर करना । अलग करना । हटाना । किनारे न जाना = दूर रहना । अलग रहना । बचना । जैसे— हम ऐसे काम के किनारे नहीं जाते । किनारे कर लेना = अलग कर लेना । उ॰—यदि अपने भावों को समेटकर मनुष्य अपने हृदय को शेष सृष्टि के किनारे कर ले या या स्वार्थ की पशुवृत्ति में ही लिप्ति रखे तो उसकी मनुष्यता कहाँ रहेगी ।—रस॰, पृ॰ ८ । किनारे किनारे जाना = (१) तीर तीर होकर जाना । (२) अलग होकर जाना । किनारे न लगना = पाम न फटकना । निकट न जाना । दूर रहना । जैसे—कभी बीमार पड़ोगे तो कोई किनारे न लगेगा । कनारे बैठना = अलग होना । छोड़कर दूर हटना । जैसे—हम अपना काम कर लेंगे तुम किनारे बैठी । किनारे रहना = दूर रहना । बचना । जैसे—तुम ऐसी बातों से किनारे रहते हैं । किनारे लगना = (१) (नाव को) किनारे पर पहुँचाना (२) (किसी कार्य का) समाप्ति पर पहुँचाना । समाप्त होना । किनारे लगाना = (१) (नाव को) किनारे पर पहुँचना या भिड़ाना । (२) किसी कार्य को) समाप्ति पर पहुँचाना । पूरा करना । निर्वाह करना । जैसे— जब इस काम को हाथ में ले लिया है, तब किनारे लगाओ । किनारे होना = अलग होना । दूर हटना । संबंध छोड़ना । छुट्टी पाना । मतलब न रखना । जैसे—तुम तो ले देकर किनारे हो गए हमारा चाहे जो हों । विशेष—इस शब्द का प्रयोग विभक्ति का लोप करके प्रायः किया जाता है । जैसे—(क) नदी के किनारे चलो । (ख) वह किनारे किनारे जा रहा है । यौ॰—किनारी बाफ = किनारी या गोटा बन नेवाला ।