कालुष्य संज्ञा पुं॰ [सं॰] १. कलुषता । मलिनता । उ॰—और निकल आती है फर हर बार काल के मुख से, नई चारुता लिए, शीर्णता का कालुष्य बहाकर, पावक में गलकर सुवर्ण ज्यों नया रूप पाता हो ।—नील॰, पृ॰ ५४ । २. निष्प्रभ । ३. असहमति । मतभिन्नता ।