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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

कालधर्म संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. मृत्यु । विनाश । अवसान । उ॰— सगर भुप जब गयो देवपुर कालधर्म कहै पाई । अंशुमान को भूप कियो तब प्रकृत प्रजा समुदाई ।—रघुराज (शब्द॰) ।

२. वह व्यापार जिसका होना किसी विशेष समय पर स्वाभाविक हो । समयानुसार धर्म । जैसे बसंत में मौर लगाना, ग्रीष्म ऋतु में गरमी पड़ना ।

३. समयानुकूल प्रभाव [को॰] ।

४. अवसर या समय के अनुकूल आचरण [को॰]