संज्ञा

  1. वजह, प्रयोजन

उदाहरण

  1. असावधानी दुर्घटना का कारण होती है।

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

कारण संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. हेतु । वजह । सबब । जैसे, तुम किस कारण वहाँ गए थे । विशेष—इस शब्द के साथ विभक्ति 'से' प्रायः नहिं लगाई जाती ।

२. वह जिसके बीना कार्य न हों । वह जिसका किसी वस्तु या क्रिया के पुर्व संबद्ध रूप होना अवश्यक हो । वह जिससे दूसरे पदार्थ की संप्राप्ति हो । हेतु । निमित । प्रत्यय । विशेष— न्यान के मत से कारण तीन प्रकार के होते है— समवायि (जैसे तेतु वस्त्र का), असमवाय (तंतुओं का संयोग वस्त्र का ) । और निमित्त ( जैसे जुलाहा, ढरकी आदि वस्त्र के । योगदर्शनमें कारण नौ प्रकार के हैं—उत्पति, स्थिति, अभिव्यक्ति, विकार, ज्ञान, द्राप्ति, विच्छेद, अन्यत्व और धृति । यह विभिन्नता केवल कार्यभेद से जान पड़ती है । उत्पति ज्ञान का कारण मन, शरीरस्थिति का कारण आहार, रूप की अभिव्यक्ति का कारण प्रकाश पचनीय वस्तुओं के विचार का कारण अग्नि अग्नि के कारणत्व का धूमज्ञान, विवेकप्राप्ति और अशुद्धिविच्छेद का कारण योगांगों का अनुष्ठान, स्वर्णकार कुंडल सें सोने के रूपान्यत्व का कारण, इस जगत् और इद्रियों का अधिष्ठान ईश्वर वेदांत उपादान कारण मानता है । कोई कोई कारण तीन प्रकार का मानते हैं, उपादान (समवायि), निमित्त और साधारण । चार्वाक कारण को कोई पदार्थनहिं मानता । सांख्य त्रयोगुणात्मिका प्रकृति को मूल कारण कहता है । वेदांत का कहना है कि अचेतन प्रकृति से कार्य को उत्पत्ति नहीं हो सकती । कणाद ने परमाणु को सावयव जगत् का उपादान कारण माना है । ३, आदि । मूल ।

४. साधना ।

५. कर्म

६. प्रमाण ।

७. एक बाजा ।

८. तांत्रिकों की परिभाषा में पूजन के उपरांत का मद्यपान ।

९. एक प्रकार का गाना ।

१०. विष्णु ।

११. शिव ।