प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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कामदेव संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. स्त्री पुरुष के संयोग की प्रेरणा करने वाला एक पौराणीक देवता जिसकी स्त्री रति, साथी बसंत, वाहन कोकिल, अस्त्र फूलों का धनुष बाण है । उसकी ध्वजा पर मीन और मकर का चिन्ह है । विशेष—कहते हैं जब सती का परलोकवास हो गया, तब शिवजी ने यह विचार कर कि अब विवाह न करेंगे, समाधि लगाई । इसी बीच तारकासुर ने घोर तप कर यह वर माँगा कि मेरी मृत्यु शिव के पुत्र से हो औऱ देवताओं को सताना प्रारंभ किया । इस दु:ख से दुखीत हो देवताओं ने कामदेव से शिव की समाधि भंग करने के लिये कहा । उसने शिवजी की समाधि भंग करने के लिये उनपर अपने वाण चलाए । इसपर शिवजी नो कोप कर उसे भस्म कर डाला । इसपर उसकी स्त्री रति रोने औऱ विलाप करने लगी । शिवजी ने प्रसन्न होकर कहा कि कामदेव अब से बिना शरीर के रहेगा औऱ द्वारका में कृष्ण के घर प्रद्यूम्न के रुप में उसका जन्म होगा । प्रद्यूंम्न कामदेव के अवतार कहे गए हैं । पर्या.—काम । मदन । मन्मथ । मार । प्रद्यूम्न । मीनकेतन । कंदर्प । दर्पक । अनंग । पंचशर । स्मर । शंबररि । मनसिज । कुसुमेष । अनन्यज । पुष्पधन्वा ।रतिपति । मकरध्वज । आत्मभू । ब्रहमसु । ऋश्वकेतु ।

२. वीर्य ।

२. संभोग की इच्छा ।

४. शिव ।

५. विष्णू (को॰ ।