प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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कानि संज्ञा स्त्री॰ [देश.]

१. लोकलज्जा । मर्यादा का ध्यान । उ॰—(क) तेरे सुभाव सुशील कुलनारिन को कुलकानि सिखाई ।—मतिराम (शब्द॰) । (ख) मैं मरजीवा समुँद्र का पैठा सप्त पताल । लाज कानि कुल मेटिकै गहि लै निकला लाल ।—कबीर (शब्द॰) ।

२. लिहाज । दबाव । संकोच । उ॰—(क) खैरि पनच भृकुटी धनुष, सुरकि भाल भरि तानि ।—बिहारी (शब्द॰) । (ख) अब काहू की कानि न करिहौं । आज प्राण कपटी के हरिहौं ।—लल्लू (शब्द॰) ।