कांति
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनकांति ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कान्त]
१. पति । शौहर । यौ॰—उमाकांत, गौरीकांत, लक्ष्मीकांत, इत्यादि ।
२. श्रीकृष्णचंद्र का एक नाम ।
३. चंद्रमा ।
४. विष्णु ।
५. शिव ।
६. कार्तिकेय ।
७. हिंजल का पेड़ । ईजड़ ।
८. वसंत ऋतु ।
९. कुंकुम ।
१०. एक प्रकार का लोहा जो वैद्यक में औषध के काम में आता है । विशेष—वैद्यकशास्त्र में इसकी पहचान यह लिखी है कि जिस लोहे के बर्तन में रखे गरम जल में तेर की बूँद न फैले, जिसमें हींग की गंध और नीम का कड़वापन जाता रहे तथा जिसमें औटाने पर दूध का उफान किनारे की ओर न जाय, वल्कि बीच में इकट्ठा होकर ढूह की तरह उठे, उसे कांत कहते हैं । ऐसे लोहे के बरतन में रखी वस्तु में कसाव नहीं आता । इसे कांतसार भी कहते हैं ।
कांति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ कान्ति]
१. दीप्ति । प्रकाश । आभा ।
२. सौंदर्य । शोभा । छवि ।
३. चंद्रमा की १६ कलाओं में एक ।
४. चंद्रमा की एक स्त्री का नाम ।
५. आर्या छंद का एक भेद जिसमें १३ लघु और २५ गुरु होते हैं ।
६. दुर्गा (को॰) ।