प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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कवच संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ कवची]

१. आवरण । छाल । छिलका ।

२. लोहे की कड़ियों के जाल का बना हुआ पहनाव जिसे योद्धा लड़ाई के समय पहनते थे । जिरह— बकतर । सँजोया । यौ॰— कवचधर । कवचधृत् । कवचधारी । कवचपाश । कवचहर । पर्या॰— तनुत्र । वर्म । दंशन । कंकटक । अजगर । जगर । जगर । कटक । योग । सन्नाह । कंचुक ।

३. तंत्र शास्त्र का एक अंग जिसमें भिन्न भिन्न मंत्रों द्वारा अपने शरीर के भिन्ना भिन्ना अंगों की रक्षा के लिये प्रार्थना की जाती हैं । विशेष—लोगों का विश्वास है कि कवच का पाठ करने से उपासक समस्त बाधाओं से रक्षित रहता है । इसे कोई कोई भोजपत्र पर लिखकर तावीज बनाकर भी पहनते हैं ।

४. तांत्रिक मंत्र ' हूँ ' । हुँकार ।

५. बड़ा नगाड़ा जो लड़ाई के समय बजाया जाता है । पटह । ड़ंका ।

६. पाकर का पेड़ ।