प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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कलिका संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. बिना खिला फूल । कली ।

२. वीणा का मूल ।

३. प्राचीन काल का एक बाजा जिसपर चमड़ा मढ़ा जाता था ।

४. एक सस्कृत छंद का भेद ।

५. कलौंजी । मँगरैला ।

६. कला । मूहूर्त ।

७. अंश । भाग ।

८. संस्कृत की पदरचना का एक भेद जिसमें ताल नियत हो ।