प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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कलपना क्रि॰ अ॰ [सं॰ कल्पना = उद्भावना करना (दुःख की)]

१. विलाप करना । बिलखना । दुःख की बात सोच सोच या कह कहकर रोना । जैसे, —अब रोने कलपने से क्या होगा । उ॰—नेकु तिहारे निहारे बिना कलपै जिप क्यों पल धीरज लेखों । नीरजनैनी के नीर भरे कित नीरद से दृग निरज देखों ।—पद्माकर (शब्द॰) । पु ।

२. कल्पना करना ।

कलपना पु ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ कल्पना] दे॰ 'कल्पना' । उ॰—माया मोह भरम की मोटरी, यह सब काल कलपना ।—धरनी॰, पृ॰ २८ ।

कलपना ^३पु क्रि॰ स॰ [सं॰ कर्त्तन, कल्पन, प्रा॰ कप्पण] कायना । कतरना । उ॰—हौं रनथंभउर नाह हमीरू । कलपि माथ जेह दीन्ह सरीरू ।—जायसी (शब्द॰) ।