प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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करौंदा संज्ञा पुं॰ [सं॰ करमर्द, प्रा॰ करमद्द, कुरवंद]

१. एक कटीला झाड़ । विशेष—इसकी पत्तियाँ नीबू की तरह की, पर छोटी छोटी होती हैं । इसमें जूही की तरह के सफेद फूल लगते हैं—जिनमें भीनी भीनी गध होती है । यह बरसात में फलता है । इसके फूल छोटे बैर के बराबर बहुत सुंदर होते हैं जिसका कुछ भाग खू ब सफेद और कुछ हलका और गहरा गुलाबी होता है । ये फल खट्टे होते हैं तथा अचार और चटनी के काम में आते हैं । पंजाब में करौंदे के पेड़ से लाह भी निकलती है फल रगों में भी पड़ता है । डालियों को छीलने से एक प्रकार का लासा निकलता है । कच्चा फल मलरोधक होता है । इसकी जड़ को कपूर और नीबू में फेंटकर खाज पर लगाते हैं जिससे खुजली कम होती है और मक्खियाँ नहीं बैठतीं । इसकी लकड़ी ईंधन के काम में आती है, पर दक्षिण में इसके कंधे और कलछुले भी बनते हैं । करौंदे की झाड़ी टट्टी के लिये भी लगाई जाती है । करौंदा प्रायः सब जगह होता है । पर्या॰—करमर्द्द । कराम्ल । करांबुक । बोल । जातिपुष्प ।

२. एक छोटी कँटीली झाड़ी । विशेष—यह जंगलों में होती है जिसमें मटर के बराबर छोटे फल लगते हैं, जो जाड़े के देनों में पककर खूब काले हो जाते हैं । पकने पर इन फलों का स्वाद मीठा होता है ।

३. कान के पास की गिल्टी ।