करुण
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनकरुण ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. वह मनोविकार या दुःख जो दुसरों के दुःख के ज्ञान से उत्पन्न होता है और दूसरे के दुःख को दूर करने की प्रेरणा करता है । दया ।
२. वह दुःख जो अपने प्रिय बंधु या इष्ट मित्र आदि के वियोग से उत्पन्न होता है । शोक । विशेष—यह काव्य के नव रसों में से है । इसका आलंबन बंधु या इष्ट मित्र का वियोग, उद्दीपन मृतक का॰ दाह या वियुक्त पुरुष की किसी वस्तु का दर्शन या उसका दर्शन, श्रवण आदि तथा अनुभाव भाग्य की निंदा, ठंढी सांस निकलना, रोना पीटना आदि है । करुण रस के अधिष्ठाता वरुण माने गए हैं ।
३. एक बुद्ध का नाम ।
४. परमेश्वर ।
५. कालिका पुराण के अनुसार एक तीर्थ का नाम ।
६. करना नीबू का पेड़ ।
करुण ^२ वि॰ करुणायुक्त । दयार्द्र ।