प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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करह पु ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ करभ] ऊँट । उ॰—दादू करह पलाणि करि को चेतन चढ़ि जाइ । मिलि साहिब दिन देषताँ साँझ पड़ै जिनि आइ । —दादू (शब्द॰) । (ख) बन ते भगि बिहड़ें परा करहा अपनी बानि । वेदन करह कासों कहै को करहा को जानि ।—कबार (शब्द॰) । (ग) ऊमर सुणि मुझ वीनती, दउड़ि म मार तुरंग । करहउ लँघियउ, कूटियउ, आड़ावल बड़वंग । —ढोला॰, दू॰ ६४७ ।

करह ^२ संज्ञा पुं॰ [कलिः] फुल की कली । उ॰—बाल विभूषन लसत पाइ मृदु मंजुल अंग विभाग । दसरथ सुकृत मनोहर निरवनि रूप करह जनु लाग ।—तुलसी (शब्द॰) ।

करह कटंग संज्ञा पुं॰ [सं॰ देश॰] गढ़ करंग । यह अकबर के समय में सूबा मालवा के १२ सरकारों में से एक था ।