करन
रूप
- कर्ण (मूल रूप)
- करन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
करन ^१ संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक ओषधि । जरिश्क । विशेष—यह स्वाद में कुछ खटमिट्ठी होती है और प्रायः चटनी आदि में डाली जाती है । यह दस्तावर भी है । यह रेचन के औषधों में भी दी जाती है ।
करन ^२ पु † संज्ञा पुं॰ [सं॰ कर्ण]
१. कान । उ॰—करन कटक बटु बचन बिसिष सम हिय हुए ।—तुलसी ग्रं॰, पृ॰ ३४ ।
२. राजा कर्ण । उ॰—करन पास लीन्हेउ कै छंदू । विप्र रूप धरि झिलमिल इंदू ।—जायसी (शब्द॰) । यौ॰—करन का पहरा=प्रभात या प्रतः काल का समय, जो राजा कर्ण के पहरा देने का समय माना जाता है ।
३. नाव का पतवार ।
करन ^३पु वि॰ [सं॰ करण] करनेवाला । उ॰—भजौं श्री वल्लभ- सुत के चरन । नंदकुमार भजन् सुखदाइक, पतितन पावन करन ।—नंद॰ ग्रं॰, पृ॰ ३२९ ।