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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

कब्र संज्ञा स्त्री॰ [अ॰ कब्र]

१. वह गढ्ढा जिसमें मुसलमान, ईसाई, यहूदी आदि अपने मुर्दे गाडते हैं ।

२. वह चबूतरा जो एसे गड्ढे के ऊपर बनाया जाता है । यौ॰—कब्रिस्तान । मुहा॰—अपनी कब्र खोदना = अपने विनाश का कार्य करना । कब्र का मुँह झाँकना या झाँक आना = मरते मरते बचना । उ॰— वह कई बार कब्र का मुँह झाँक चुका हैं । कब्र में पैर या पाँव लटकाना = मरने को होना । मरने के करीब होना । बहुत बुढ्ढा होना । कब्र में तीन दिन भारी = मुसलमानों का खयाल है कि कब्र में मुर्दे का तीन दिन तक हिसाब किताब होता है । कब्रर में साथ ले जाना = मरते दम तक या मरकर भी न भूलना । कब्र से उठकर आना = मरते मरते बचना । पुनर्जीवन या नवजीवन ।